दूसरे दिन की शुरुआत किष्किंधा साइड से करें।
सुबह जल्दी निकल जाएँ क्योंकि हनुमान जन्म स्थली पर्वत पर ठंडे ठंडे में हो आयें बाद में धूप लगेगी। हम्पी का ये साइड बहुत खूबसूरत है। इसमें प्रकृति भरपूर है। पूरे रास्ते तुंगभद्रा ,ऊंचे पर्वत,धान के खेत बहुत लुभाते हैं।
सबसे पहले हनुमान जी की जन्म स्थली “मातंग पर्वत” जिसे अंजेयानाद्रि पर्वत भी कहते हैं से शुरुवात करनी चाहिए। कहते हैं यहाँ हनुमान जी का जन्म हुआ था और उनका राम से मिलन भी यहीं हुआ था।
पर्वत पर जाने के लिए संकरी, चौड़ी पहाड़ों को काटकर करीब 575 सीढ़ियाँ बनाई गई हैं। कई बुजुर्ग अपने परिवारीजनों की प्रतीक्षा नीचे बैठ कर ही कर रहे थे क्योंकि ऊपर सिर्फ पैदल ही जाया जा सकता है।
ऊपर पहुँचने पर सम्पूर्ण हम्पी शहर, धान के खेत, सर्पीली तुंगभद्रा नदी खूब दिखती है। विशाल पथरीला क्षेत्र भी है जिसपर हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है और दर्शनार्थी घूम सकते हैं।
मंदिर में एक काँच के बक्स में तैरता पत्थर बहुत आश्चर्य में डालता है, कहते हैं कि ये लंका विजय के समय राम सेतु में उपयोग हुए पत्थरों में से एक है।
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