हमें सारा दिन मुरुदेश्वर में नहीं रहना था, मंदिर दर्शन ही उद्देश्य था और वहाँ चलने वाले सारे वॉटर गेम्स आदि हम अंडमान में पूरे कर चुके थे सो कुछ घंटे का प्रवास था और दोपहर तक उडुपी निकल जाना था।
दिसंबर का महीना होने के बावजूद पूरे कर्नाटक में धूप चिलचिला रही थी। मुरुदेश्वर में बहुत सारे लोग दिन भर घूम कर, बेहद हसीन सूर्यास्त देखकर उडुपी लौट जाते हैं। कुछ पर्यटक यही होटल लेकर रात्रि विश्राम भी करते हैं लेकिन हमें दो, तीन घंटे के लिए ही कमरा चाहिए था ताकि सामान रख सकें, नहा धो सकें और थोड़ा आराम भी कर लें सो बादामी के होटल मैनेजर से कह कर मुरुदेश्वर में आधे दिन के किराए पर एक होटल में कमरा बुक करा लिया था।
हमें बताया गया कि आप जितनी देर भी रहें आधा किराया देना होगा और हम राजी हो गए। नहा धोकर दर्शन को निकले तो पता चला कि शिव जी के पुराने मंदिर में तो दर्शन हो जाएंगे लेकिन राजा गोपुरम प्रातः 8 बजे के बाद ही खुलता है। हमने तब तक नाश्ता करने की सोची।
बेहद सस्ते में गरम भाप से निकलती ताजी इडली और सांभर, चटनी और फिल्टर्ड कॉफी ने हमें दिन भर के लिए स्फूर्ति दे दी।
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